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कहानी तीन मछलियो की

कहानी तीन मछलियो की 


एक तालाब में तीन मछलिया रहती थी।  उनकी आपस में दोस्ती थी ,लेकिन तीनो का सवभाव अलग अलग था पहली मछली बड़ी सायानी थी।  कुछ करने से पहले वह खूब अच्छी तरह सोच विचार कर लेती थी।  दूसरी मछली बड़ी सूझ बुझ वाली थी। मोके पर झटपट फैसला कर लेती थी। यदि उस पर कोई मुसीबत आती ,तो फ़ौरन बचने का रास्ता  लेती थी। वह हमेशा खुस रहती थी।  तीसरी मछली मछली भाग्यवादी थी। वह किस्मत पर भरोसा करती थी और सोचती थी की जो होना है ,वह तो होकर रहेगा।  

एक दिन सायानी मछली ने दो मछवारों को बाटे करते सुना।  एक मछुवारा दूसरे से कह रहा था ,' देखो यह मछली कैसे मोटी ताजी है। वाह , इसका मतलब इस तालाब में  और भी बहुत साडी मछलिया होंगी। कल हम इसी तालाब में आकर मछलिया पकड़ेंगे। '

सयानी मछली भागी भागी अपने दोस्तों के पास पहुंची और साडी बातचीत उनको सुनाई और बोली ' हमें आज ही ये तालाब छोड़ देना चाहिए।  ' 

सूझबूझ वाली मछली बोली , ' अरे , मछुवारे आये  तो सही , में बचने का कोई न कोई उपाय निकल लूगी। '

भाग्यवादी मछली ने कहा , में जीवन भर इसी तालाब में रही हू। मै इस तालाब को क्यों छोडू ?' जो होना है वो तो होकर रहेगा। '

सयानी मछली अपने ऊपर कोई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहती थी। वह नहर के रस्ते दूसरे तालाब  गई। अगले दिन मछुवारों ने तालाब में जाल डाला। जाल में बहुत से मछिलया फंस गई। उनमे वह दो मछलिया भी थी ,जो तालाब छोड़ कर नहीं गयी  थी।  सूझबुच वाली मछली ने फ़ौरन अपना रास्ता ढूंढ  लिया वह ऐसी गयी जैसे मरी हुई  हो मछुवारे ने दूसरी मरी मछलियो के साथ उसे भी निकल कर पानी में फैक दिया वह धीरे से तालाब में खिसक गई। भाग्य पर भरोसा करने वाली तीसरी मछली अपने को छुड़ाने के लिये उछाल कूद करती रही। जब मछुवारे ने उसे देखा तो उसे पकड़कर वाही मार डाला।  

दोस्तों ,इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है हमें हमेशा समझदारी से , स्थिती को देखते हुए फैसला लेना चाहिए।  भाग्य के भरोसे जीवन नहीं चलता।


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