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कब तक दलित समाज अत्याचार का शिकार होता रहेगा

कब तक दलित समाज अत्याचार का शिकार होता रहेगा और कब तक दलित पिटते रहेंगे  / 

अभी कुछ दिन पहले उत्तर भारत के एक राज्य में  जिला रायबरेली में कुछ गाओं के लड़को ने  एक दलित  युवक को अपने पैर  चटवाये  और मारपीट की और वीडियो बनाकर वायरल किया। अभी कुछ दिन पहले केंद्रपाड़ा ओडिशा में भी पेर चटवाने की घटना घटी क्योकि उसने मंदिर के लिए ५०० रुपये नहीं दिए थे ऐसी हज़ारो घटनाये है जो हर दिन होती रहती है क्योकि अमीरो का दिमाक  गरीबो का शोषण करने में ज्यादा चलता रहता है की कैसे इनको गरीब और गुलाम बनाये रखा जा सके और उनको कोई खौफ नहीं है हांलाकि पुलिस करवाई करती है लेकिन फिर भी  भी ऐसी घटनए थमने का नाम नहीं लेती / राजस्थान में कुछ दिन पहले एक युवक को सिर्फ इसीलिए  मार दिए क्योकि उसने मुछे रख्खी थी / दलितों को आज भी घोड़ी पर चढ़ कर बारात नहीं निकलने दिया जाता है आखिर क्यों ें लोगो की मानसिकता ख़राब है या कहे ये लोग मानसिक बीमार है आखिर कोण लोग है जो ये  धर्म के नाम पर जातिवाद फैलाते है और अत्याचार करते है और कोण लोग जातिवाद का प्रचार के लिए पैसा देते है जो घर घर जा कर पौराणिक कथाओ के नाम पर जातिवाद  फैलाते है / 

कुछ साल  पहले समाचार छपा था की झाँसी  में एक दलित की नाक काट दी गई।  बिहार के  एक शहर में दलित  महिला को मल मूत्र पिलाया गया। राजस्थान मे  बारात पर पत्थर फेके गये। किसी बेटी के साथ रेप और हत्या  हरदिन कोई ना कोई खबर अखबारों मे पढ़ने को मिल जाती है   आखिर ये कौन हिन्दू आतंकवादी  लोग है ,  जो अपनी बीमार मानसिकता के कारण ऐसे अपराधो को अंजाम देते  है और अपने को बहादुर समझते  है।   ऐसा कोई  दिन नहीं जाता जब हम ऐसी खबरों से दो चार न होते हो। इनमे और दूसरे आतंकवादियों में क्या कोई फर्क है ? मुझे लगता है कुछ नहीं,  क्योकि सब अपने ही  लोगो को काट  रहे है जैसे इराक और पाकिस्तान में चल रहा है। श्रीलंका में चला। भारत में भी हम इस और  बढ़ रहे है  कुछ हिन्दू  है जो भारत में भी जाति  के नाम दलितों की  हत्याए कर रहे है। और कोई सुनने वाला नहीं है्‌ । 

हमारे राज्यों में कानून न के बराबर है ऐसे अपराध करने वालो को सख्त सजा का प्रावधान है।  लेकिन डरता  कौन  है।  हमारे दिमाग को धार्मिक वायरस   चाट गयी है उस वायरस   का नाम है जाति  जो जाती  नहीं है हमारे  दिमाग से। हम दक्यानुसी   हिन्दू उस मिनार में रहते है जिसमे जाने का कोई रास्ता नहीं है।  जो जिस मंजिल पर पैदा होता है बस  उसे उसी मंजिल पर मरना  होता है। और उस मंजिल का नाम है वर्णवाद। जातिवाद, पाखंड और अंधश्रद्धा ने हमारे  ब्रेन को खोकला कर दिया है  हमें अपने लिए मरना और अपने लिए ही जीना सिखाया जाता है।   

जातिवाद ,  पाखंड और अन्धश्रद्धा  हिन्दू समाज के लिए कैंसर है जिसके कारण हिन्दू समाज सदियों से बर्बाद रहा है जिसके कारण लोग हिन्दू धर्म से किनारा करने लगे थे  और सिख , जैन , बुध , मुस्लिम आदि धर्मो में चले गये।  आज भी कोई ईसाई  बनना चाहता है तो कोई बुद्धा।  क्योकि लोग जातिवाद और गुरु घंटाल बाबाओ से  से तंग आ चुके है  रोजाना ब्राह्मणो के तंत्र ,मंत्र और यन्त्र का शिकार होते है  और अपना पैसा , समय दोनों बर्बाद करते है।  ठाकुरो की मारपीट का सामना करते है तथा बनियो के कर्ज़दार बनकर अपना सब कुछ गवा देते है।  बाकि बचे बैकवर्ड समाज के अमीर जमींदार जो अपने साथ बैठने भी नहीं देते है हम ऐसे मॉडर्न समाज में रहते है।  

भारत में दलितों की आबादी  करीब २० करोड़ है और बहुत सारे दलित राजनैतिक  नेता।  लेकिन  हम आजतक भारत में एक दलित यूनिवर्सिटी नहीं बना सके और न ही समाज का कुछ विकास  सके बस अपना विकास किया कुछ लोगो ने।   ,

शर्म की बात है और न ही अपने समाज के बच्चो के  लिए कोई स्कूल खोल पाये । हमारी जीवन शैली और मेंटालिटी  हमारे विकास में सबसे बड़ी रूकावट  है हम जो पैसा कमाते है केवल अपनी  शानो शौकत और शराबखोरी में उडा देते है हम  अपना कोई सामाजिक कल्चर नहीं बना सके।  कम से कम आदिवासी कल्चर के मामले में हमसे बहुत आगे है। और हिन्दू धर्म का त्याग करने में भी।

 कुछ्लोग पढ़ कर अपने आप को ब्राह्मणवादी विचार धारा से जोड़ लेते है और अपने समाज को भूले जाते है।  यह हमारा दुर्भाग्य है। आंबेडकर जी ने कहा था शिक्षित  बनो, संग्रष करो ,एकता रखो , तभी विकास होगा।  आज पंडित लड़की से शादी  कर खुद पंडित बने फिरते है और अपने समाज के बच्चो की तरफ नहीं देखते है. कुछ लोग शराब पिने में मस्त है और पढ़ लिख कर भी जानवर जैसे ही है। सरकारों ने हर गली नुक्कड़ पर शराब की दुकान खोल दी है ताकि दलित गरीबो के बच्चे बर्बाद हो..और खुद राज करते रहे।

हमारे मर्द और  महिलाये रात दिन पंडितो के पीछे घूमते रहते है ताकि उनके घर खुशाल हो,  रात दिन पथ्थर की मूर्ति पर जल ,अगरबत्ती अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहे है।  वही  दूसरी और गुरु का मायाजाल फैलाकर खुद अमीर बन रहे है और ये गरीब के गरीब।  जबतक हम अपने घरो से जाति , धार्मिक पाखंड अंध विस्वास नहीं निकालेंगे  तब तक हम खुशाल नहीं हो सकते. ज़माने की नब्ज को समझे। कुछ बदलिए समाज बदलिए / 

हम  बदलना चाहते है तो आओ  मिलकर कुछ करे ? 

१- जहा कही भी जातिवादी लोग मिले उनका बहिस्कार करे। जातिवाद का मुकाबला करे।  
२- जाति के नाम पर मारपीट अथवा अपराध करने वालो को पुलिस के हवाले करे  । 
३- सोच बदले तो जीवन बदले , धर्म बदले तो इज़्ज़त मिले।  
४- गरीब दलितों की आर्थिक मदद करे।  
५ -तंत्र,  मंत्र और यन्त्र और अंधविस्वास  में अपना  पैसा और समय  बर्बाद न करे। 
६ - दलित बच्चो के लिए स्कूल खोले।
७- हेल्प  करे  जहा कही भी बच्चे जाति भेदभाव द्धेष के  शिकार होते हो्‌ . 
८  - कानून, शिक्षा और हेल्थ संबंधी जनजागरण करे। 
९ -  महिलाओ की इज़्ज़त बचाये। अपनी महिलाओ की  इज़्ज़त करे।  
१० - धूम्रपान और शराबखोरी/ड्रग्स  से बचे। न पीये न  किसी को पीने दे।  
११   समाज को शिक्षित और इकठ्ठा करे.जातिवाद न अपनो से करे और न दुसरो से करे।
१२ - दलित समाज अंतरजातीय विवाह जबरदस्ती न करे
१३ .  पंडित पुजारियों  के तलवे चाटना बंद करे।  पूजा यज्ञ हवन  में अपना पैसा बर्बाद न करे
१५  - मीडिया,  पत्रकार  से  न्याय के लिए सहायता मांगे ।
१६ - बुद्धिस्ट बनने के बाद अपनी जातियों को गंगा में प्रवाह  करे ।
१७- आंबेडकर जी की  २२ प्रतिज्ञा का पालन करे।  काल्पनिक पथ्थरो की पूजा  न करे /


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 बहुजन स्वाभिमान मंच - जियो शान से 
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