डायन कौन ?मर्दो की शक्ल में राक्षस
झारखंड /छत्तीसगढ़ में डायन बता कर महिलाओ की हत्या करना अंध कुकर्म है । ग्रामीणो को शक था इन महिलाओ की वजह से गावों में या घर में शांति नहीं रहती। हमारे पुरुष प्रधान समाज पर कलंक है की अपनी बीमारी का दोष महिलाओ पर थोप देते है। डॉक्टर से इलाज न करा कर गांव के अंध पाखंडी ओझाओ के चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद करते है हमारा समाज अंधविस्वास के नाम पर खोखला है। पंडितो /ओझाओ ने हमारा दिमाक में अंधभक्ति का गोबर भर दिया है हम कितनी भी शिक्षा डिग्री ले ले लेकिन अपना विकास तो किया पर सामाजिक और बुद्धि का विकास नहीं हुआ है हम आज भी हम ढकोसले और पाखंड में घिरे पड़े है। और मानव ही राक्षस बन बैठा है। हमें आज भी तंत्र मंत्र यन्त्र पर ज्यादा विस्वास है डॉक्टर या वैज्ञानिक सोच पर नहीं।
वर्ष 2001 से अब तक करीब जादू टोना के नाम पर कई हज़ार महिलाओ की हत्या हो चुकी है. कानून होते हुए भी ना के बराबर है। सभी हत्या नशे ही हालत में की गयी है आदिवासी समाज शराब में डूबा हुआ है. सोचने की बुद्धि शराब से खत्म हो चुकी है बाकि जो बची वो पंडित और ओझाओ ने धर्म आस्था के नाम पर बर्बाद कर चुके है. दीमाक पूरा खाली है। कोई गावों में बीमार होता है तो पहले पंडित ओझा को बुलाया जायेगा वो झाड़ फूक करेगा तो इलाज़ होगा। डॉक्टर को नहीं। हमारी आँखे खुले होने के बावजूद भी पाखंड में बंद है। ।
झारखंड की राजधानी रांची से करीब ७० किलोमीटर दूर मंदार थाने के कजिया गावों में डायन बताकर ७ अगस्त २०१५ फ्राइडे की रात को ५ महिलाओ की पीट पीट कर हत्या कर दी गयी। गांव के करीब 50 युवको ने जो पढ़े लिखे है एक महिलाओ हत्या कर दी गयी। महिलाओ की उम्र ३० से ५० के बीच थी। ।
भारत में कभी भी विकास नहीं होगा जब तक अन्धविस्वासी ताकते राजनीती पर भारी रहेगी। जनता को मुर्ख बना कर ये लोग अपने पेट भरते रहगे। वैसे भी जाति की आड़ में कुछ लोग नहीं चाहते की आदिवासी गरीब जनता का कोई विकास हो। बस इनको दारू ,नमक,चप्पल ,चावल फ्री में देकर नेता अपना उल्लू सीधा करते रहेहै और करते रहेंगे।
इस समय देश में धार्मिक उन्माद चरम पर है। हर गली नुक्कड़ पर गुरु , बाबा ,पंडित,तांत्रिक ज्योतिष तथा हिन्दू कट्टर संस्थाओं की भरमार है जो आये दिन हमारा ब्रेन वाश करते है और तंत्र ,मंत्र , यन्त्र के नाम पर ठगते है कूद अमीरो की जिंदगी जीते है और गरीबो को शांति,मुक्ति,आत्मा परमात्मा , कुंडली,मैडिटेशन और धर्मसंकट में उलझा कर रखते है ताकि आप अंधविश्वास से बहार न निकल पाये। और उनकी जेबे भर्ती रही। इस में हमारे टीवी चैनल्स और समाचार पत्रो का बहुत बड़ा योगदान है जो चौबीस घंटो हमारा ब्रेनवाश करते है और हमें मजा आता है। क़्योकि हमारे पास कुछ समाज के लिए पॉजिटिव करने के लिए कुछ नहीं है क्योकि हमें अपनी जाति की फ़िक्र है दुसरो को कैसे शोषित किया जाये उसके हथकंडे अपना कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे है। बस जाति वादी नाम के रोग से ग्रसित है इसीलिए हम दुसरो के लिए कुछ नहीं करेंगे। बस अपने बाबा, अपने पंडित की लिए सब कुछ हाज़िर है फिर चाहे नंगा ही क्यों न होना पड़े।
आतंकवादी बिन लादेन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट था लेकिन धर्म के नाम पर बर्बाद था हमारे देश में भी ऐसे बहुत नेता लोग है जो बड़ी बड़ी डिग्री लेने के बाद भी धार्मिक कट्टरवाद ,अंधश्रद्धा , पाखंड, तंत्र मन्त्र यंत्र का बिज़नेस करते है और लक्ज़री जिंदगी जीते है। और अंधे लोग उनकी गुलामी में जुटे है ताकि उनको दोबारा इंसान का जन्म मिल सके या मुक्ति, पापो से छुटकारा पाने में लगे। अरे अच्छे कर्म करे सबकी इज़्ज़त करे सबको प्यार करे एहि जिंदगी है।
आइये हम अपने आप को बदले और कुछ समाज को कुछ अच्छा देकर जाए। ।अंधश्रद्धा पाखंड को अपने दिमाग से भगाए। धार्मिक कुरीतियों से दूर रहे। धर्म , पाखंड और जाति को छोड़ कर कुछ अपने लिए कुछ दुसरो के विकास भी सोचे बिना जातीय /धार्मिक भेदभाव के करे। बाबाओं पंडित ओझाओ ज्योतिषों से दूर रहे. और अपना पैसा, समय बचाकर अपना भला करे और दुसरो का भी करे । भगवान के नाम पर बाबाओ को पालना बंद करे। वैज्ञानिक सोचवाली जिंदगी जीने की कोशिश करे। जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहा। मरने के बाद इंसान के कर्म ही जिन्दा रहते है पैसा और कुकर्म नहीं।
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