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टेलीविज़न का प्रदूषण

आज भारत मे करीब 1000 से भी ज्यादा टेलीविज़न के चैनल्स है जो समाचार नाटक भक्ति धार्मिक स्पोर्ट्स खाने पीने से लेकर साइंस और एनिमल से संबंधित कार्यक्रम हम देखते है । 
समाचार रेडियो और टेलीविज़न पर पूर्णतया राजनीति और फालतू की बहस पर किये जाते है हिन्दू मुस्लिम जाति का विश्लेषण होता है कि कोन सी जाति कोन पार्टी को वोट देगी । देश मे भुखमरी गरीबी महंगाई जातिवाद धार्मिक उन्माद जैसे मुद्दों को हवा देती है और युवाओं की बुद्धि का सर्वनाश करने पर तुले है ।
नेताओ का आचरण गिर गया है है सब तो पैसा कमाने की पड़ी है इसीलिए कम पढेलिखे और ज्यादा पैसे वाले लोग नेतागिरी को एक बिज़नेस बनालिया है । आजकल अपराधी छवि के लोग ही देश की सत्ता पर हावी है जिनका मकसद लोगो को आपस मे लादकर अपना उल्लू सीधा करना है । और बेरोजगार युवा भी इसीमे शामिल हो गया है है इंजीनियर बन के 5000 रुपये भी प्राइवेट में नही देते । जो कमाते है उसे दारू में उड़ा देते है या माँ बाप की काली कमाई पर ऐस करते है । ऐसे युवा देश का भविष्य कैसे बन सकते है । सोचने वाली बात है ।।
टेलीविज़न पर जो कार्यक्रम हमे दिखाए जाते है उनमें ज्यादातर फैमिली ड्रामा हिंसा रैप सेक्स हत्या होती है या धार्मिक जैसे शिव पार्वती हनुमान गणेश साईबाबा संतोषी माता तुलसीमाता या पाखंड अंधविस्वास भूत प्रेत पर आधारित होते है या कोई बाबा प्रवचन सुना रहा होता है । साइंस टेक्नोलॉजी सामाजिक जागरूकता जैसे टोपोक गयाब होते है । जिसके कारण आम आदमी का दिमाक भी सिकुड़ गया है और समाज मे धर्म और जाति के नाम पर नफरत करने लगा है नाम पूछने से पहले जात पूछने लगा है । मुसलमान ईसाई दलित को अलग आंख से देखने लगा है । समाज मे नफरत की खाई बढ़ाने का काम राजनीतिक लोगो ने किया है । जिनका मकसद बाटो और राज करो मरते तो आम इंसान ही है ।
धार्मिक उन्माद ने बड़े बड़े देशों को बर्बाद कर दिया है कहि ऐसा तो नही हमारा देश मे उसी की चपेट में आ जाये हमे सावधान रहना होगा और ऐसे आपराधिक लोगो का विरोध करना होगा । ऐसे टेलीविज़न का बहिष्कार करने होगा जो हमे गलत दिशा में ले जा रहे है ।। होशिय रहो और अपने बच्चों की भी जागरूक रखो और विज्ञान को दिमाक में डालो । धर्म मानो घर पर सड़को पर नही ।। मंदिर नही रोजगार चाहिए ।।

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