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कलयुगी औलाद : एक सत्य घटना-


कलयुगी औलाद :
-एक सत्य घटना-


दीना नाथ एक छत्तीसगढ़ के  छोटे से गांव में रहता था छोटी जाति के कारण गांव के एक कोने में चोट था मकान था मकान क्या चोट से झोपड़ा था । दीना नाथ का बाप सुबह घर से निकल जाता एयर शहर के चौराहे पर जाकर खड़ा हो जाता जहाँ सब मजदूर खड़े होते ।कोई न कोई मिस्त्री घर बनने के लिए ले जाता । दिन भर मेहनत मजदुरी करके 300 रुपये मिल जाते और ईमानदारी से अपनी पत्नी को 250 रुपये दे देता । और बाकी खर्च हो गए जिसमे उसकी दारू भी शामिल थी । बिना पिये दीना नाथ को नींद नही आती । क्योकि मेहनत  से शरीर टूट जाता था । बस दीना नाथ का यही दिनचर्या थी । दीना नाथ की पत्नी अंगूरी दिन भर घरों में बर्तन मॉजती और किसी तरह घर का गुजारा चलता ।ऐसी तरह दिन गुजर गए पता नही चला । अब उसके दो लड़कियां और एक लड़का बड़े हो गए थे । 

बड़ा लड़का राजू मुश्किल से दसवीं पास किया और सरकारी हॉस्पिटल में चपरासी लग गया था । छोटी लडकिया अभी कक्षा 6 और 8 में पढ़ रही थी ।। दीना नाथ और उसकी पत्नी ने बड़ी मुश्किल के साथ अपने बच्चों को बड़ा किया ।।
राजू की नौकरी लगते ही उसका नज़रिया अब बदल गया था वो अब शाम को दारू के नशे में धुत्त हो कर आता ।और रोज अपने माँ और बाप से बहस करता । 
दीना नाथ बोला , बेटा तुम दारू क्यो पीते हो । घर मे दारू पीकर नही आओगे। 
बेटा, अरे पाप दोस्तो ने पिला दी कल से नही । खाना खाकर राजू सो गया ।
अब राजू का।रोजना का एहि काम हो गया था । दिन में काम करता और रात को नशे में धुत्त हो कर आता । बाप परेशान था रोजना इसी को लेकर झगड़ा होता और दोनों खाना खा कर सो जाते । 
दीना नाथ के अपने रिस्तेदार थे जब भी वो आते तो राजू को सामने बिठाते और समझने के लिए कहते । लेकिन राजू को इसका कोई असर नही होता बल्कि उसके दिमाक में अपने पिता के खिलाफ जहर का गुस्सा उबलने लगा था वो अपने पिता को आंखे दिखाने लगे था जैसे अभी मार कर खा जाएगा । पत्नी के रिस्तेदार भाई आते तो वो भी उसे समझते लेकिंग उसकी बुद्धि तो जैसे भृस्ट हो चुकी थी दारू पी पी कर । 

आज भी राजू के मामा आये थे पिता ने कहा बीटा, आते समय चिकेन लेते आना तेरे मामा आये है । शाम होते राजू घर पर आया तो चिकेन के साथ दारू की बोतल भी लाया था । पिता ने देखा तो उसका दिमाक सनक गया ।। माँ ने चुप कराया ,और खाना बनने में लग गयी । 
सभी ने खाना खाया ।तभी अपनी पत्नी के भाई से कहा देखो अपने भांजे को समझओ ये नशेड़ी बन गया है अभी दो बहनों की शादी करनी है समझता ही नही नालायक बेवकूफ गधा मादरचोद कहि का ।। पत्नी ने देखा तो कहा अरे लडो मत ।
राजू अपने मामा के सामने अपने आप को बेइज़्ज़त समझते लगा और गुस्से में तमतमाने लगा ।।गुस्से में आंखे लाल थी । पापा आप मुझे ऐसे नही बोलेंगे वार्ना मैं कुछ कर लूंगा । क्या करेगा तो कर न अभी कर ।।
राजू ने आव न देख ताव , घर पर रखा डंडे से सर पर वार करने लगा वो रुक नही रह था । मामा और अंगूरी से लड़ाई छुड़वाने की कोशिश की तो उनपर भी डंडों से सर में खून बहने लगा था ।।पिता के सर में खून बह रहा था लेकिन राजू को कोई फर्क नही पड रहा था ।। दीना नाथ के सर से ज्यादा खून बहने की वजह से धड़ाम से जमीन पर गिर गए ।राजू डरर में मारे गांव से भाग चुका था । गांव के लोग अब आ चुके थे किसी तरह एम्बुलेंस बुलाई गई लेकिन रास्ते मे दीना नाथ ने दम तोड़ दिया था । पत्नी बच्चे गांव के लोग सन्न थे कि एक बाप ने गरीबी में अपने बच्चे को पढाया लिखाया और उसका फल ये मिला । 
पुलिस को खबर लग चुकी थी ।राजू को उसके मामा के गाँव से गिरफ्तार किया जो कोर्ट में पेश किया जहां जज महोदय ने उम्र कैद की सजा सुनाई ।अंगूरी ने अब गाओ छोड़ दिया और अपनी लड़कियों को लेकर शहर आ गयी थी जहाँ उनको पढ़ा रही थी और खुद दिन भर लोगो के बर्तन मांजती ।।।।कहते है भेगवां औलाद दे तो सपूत दे वार्ना मत दे ।।आजकल दारू नशे के चक्कर मे युवा अपनी माँ बाप पत्नी किसी को भी मार देते है नशे में चूर हो कर ।।आज समाज को सुधारने की बहुत जरूरत है ।।