लूटती जनता
जनता पूछती है सियासत के कद्रदानों से ,
कहा थे जब लोग लूट मर रहे थेअस्पतालों में
ऑक्सीजन दवा नही मिली दवाखानों में ,
लोग रोड पर तड़फते रहे अपनो को बचाने को ।
चेहरों पर सफेद नकाब ओढ़े स्वास्थ कर्मी,
लगा यमराज ले जा रहे कत्ल खानों को ।
शहर की हवा में शवो की दुर्गंध थी ,
मुर्दे भी लगे थे लाइन में अपनी बारी आने को ।
कुछ को कफ़न भी नसीब नही हुआ ,
सुना है चोर ले गए अपने बिस्तर सजाने को ।
हम दफ़न हो गए नदी किनारे रेत में ,
रिस्तेदार आ गए अब तेरवी का खाना खाने को ।
नेताजी बिजी है मीडिया वोटिंग के विज्ञपनों में ,
भ्रस्टाचारी लगे रहे भारत को विश्व गुरु बनाने को
दिमाक में दुसित रसायन अब घुल चुका है ,
हम लगे है अपनी जातियों को बचाने को ।
हम बचेंगे तो देश बच पायेगा मेरे भाई
वरना कोई नही पूछेगा इन कंक्रीट के मकानों को ।।
रचित : कमल कुमार 'आज़ाद '
12 जून 2021 ।😰😱👿👽💥🐍