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अब छत्तीसगढ़ में दिल्ली सरकार की तर्ज़ पर बनेंगे मोहल्ला क्लीनिक ।


छत्तीसगढ़ सरकार चली आम आदमी पार्टी की नकल करके मोहल्ला क्लीनिक बनाने । प्रदेश में प्राइमरी हेल्थ सेन्टर को मोहल्ला क्लीनिक में बदलने की योजना पर काम शुरु हो चुका है । इस प्रोजेक्ट में एक साल में गांव देहात इलाको में 1154 उप स्वास्थ्य केंद्र और शहरों में 182 स्वास्थ्य केंद्रों को मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज़ पर बनाया  जाएगा । 
इन क्लीनिक में मरीजों को प्राथमिक इलाज के साथ मेडिकल टेस्ट जांच की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी ।योजना में इस साल 339 करोड़ रुपये खर्च होंगे ग्रामीण इलाकों में एक मोहल्ला क्लीनिक से करीब 5000 की आबादी कवर की जाएगी । और शहरों में करीब 15000 की आबादी । 
इस तरह पहले फेज में 1336 स्वास्थ केंद्रों को मोहल्ला क्लीनिक में बदलने में 87 लाख योगों को फायदा मिलने की संभावना है । शहरी मोहल्ला का निर्माण अंतिम दौर में है और अप्रैल में शुरू करने की तैयारी चल रही है ।।
छत्तीसगढ़ में प्राइमरी हेल्थ केयर सिस्टम 5 साम में बदलेगा ।379 करोड रुपये पहले चरण की शुरुवात राजधानी रायपुर और उसके आसपास के क्षेत्र ।। 1793 करोड रुपये 5 साल में खर्च होंगे । 339 करोड मिलेंगे केंद्र से हर साल । 
हर जिले से मांगा गया था प्लान । इसी आधार पर 1154 शहरी 182 ग्रामीण केंद्र चुने गए । जिनमे मरीजो के सैंपल भी कलेक्ट किये जायेंगे जिनको हमर लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा ।  रायपुर मुख्य मेडिकल स्वास्थ अधिकारी कार्यालय की और से 80 केंद्रों को अपग्रेड करने के प्लान भेज गया था । जिसमे रायपुर निगम में 70 मोहल्ला क्लीनिक बन रहे है  ।।
केंद्र सरकार ने कोरोना के दौर में स्वास्थ्य सुविधा की कमी को देखते हुए 15 वे वित्त आयोग के तहत अगले 5 साल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुधारने के लिए राज्यो से प्लान मांगा  था इसमें छत्तीसगढ़ को 1799 करोड के प्लान।को मंजूरी दी गयी है ।।इस प्लान में ग्रामीण मोहल्ला क्लीनिक में में एक मेडिकल अफसर के साथ 5 कर्मचारियों का स्टाफ रहेगा ।। 
मोहल्ला क्लीनिक सुनने में अच्छा लगता है कि हमे अपने नजदीक सभी मेडिकल सुविधा मिल जायगी । लेकिन यह एक सपना ही साबित हो सकता है ।।आज बिलासपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज की हालात देख लीजिए रोजना लड़ाई झगड़े पुलिस केस होते रहते है भरस्टाचार और कर्मचारियों की संवेदनहीनता , अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाह की अनेकों केस सामने आते रहते है । कोई क्लीनिक पर जाता ही नही । काम चोरी की आदतों से मजबूर फ्री में सैलरी खाना चाहते है ।।
क्या मोहल्ला क्लीनिक की नकल करने से कुछ लाभ होगा । मुझे नही लगता । क्योकि इसमें काम करने वालो का आचरण कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा । क्योकि भ्रस्टाचार और काम चोरी , शराबखोरी लोगो के खून में घुस चुका है सरकारी कर्मचारी बनते ही भ्रस्टाचार रिश्वत खोरी का कीड़ा पनपने लगता है और अफसर और कर्मचारी अमीर बनने का जुगाड़ में बिजी रहने लगते है और आम आदमी वही परेशान खड़ा मिलता है जहाँ वो पहले था ।।सरकार को चाहिए पहले स्वस्थ केंद्रों की शक्ल बदले और मैनपावर मशीन और मटेरियल पर ध्यान दे । रिश्वतखोरी कैसे खत्म हो उसकी मशीनरी तैयार करे शराब खोरी बंद करवाये वार्ना कितना भी पैसा केंद्र से आ जाये सब नेताओ ,अफसरों , ठेकेदारों , इंजीनियर ,कर्मचारियों के जेबो में पहुच जाएगा और आम गरीब आदमी  गरीब और असहाय महसूस करता मर जाएगा । ग्रामीण क्षेत्रो में सरकारी और गैर सरकारी सभी फ्री एम्बुलेंस होनी चाहिए । प्राइवेट एम्बुलेंस का बिज़नेस बंद करे । साफ सफाई पर ध्यान दे ।कर्मचारियों की शराब खोरी बंद कर कर्मचारियों को मानवता का शिक्षा दी जाय ।। तभी सपना साकार को सकता है वरना सब आम आदमी का इनकम टैक्स का पैसा भ्रस्टाचार रिश्वतखोरी की भेंट चढ़ जाएगा ।।।


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