प्रदीप और संदीप दोनों भाई एक ही बिल्डिंग में ऊपर नीचे रहते थे जो उनका स्वयं का मकान था ऊपर बड़ा भाई संदीप जैन और नीचे प्रदीप जैन निवास करते थे अच्छा जीवन चल रहा था दोनों भाइयों में अच्छे संबंध भी थी । उनकी एक बहन सविता भी रायपुर में ब्याही थी इसका भी आना जाना अपने भाइयों के घर लगा रहता था फिर कोन पूरे परिवार की हत्या कर सकता था इसकी छान बीन अभी होने थी ।।
संदीप सुबह 5 बजे घर से घूमने के लिए निकले थे सीढ़ियों से उतरते हुए अपने भाई को आवाज़ लगाई थी पर कोई जबाब नही मिला । फिर उसने चिंकी मिन्की को आवाज़ लगाई पर कोई नही उठा । उन्हें कुछ शक हुआ तो खिड़की से झांक कर देखा तो दंग रह गया उसने फ़ौरन पुलिस को सूचित किया ।
सुबह लोकल पुलिस अधिकारी मिस्टर चौबे घटना स्थल पर पहुच चुके थे दरवाजा अंदर से बंद था पुलिस टीम की सहायता से दरवाजे को अंदर से खुलवाया गया । उनका भाई संदीप और पुलिस टीम अंदर घुसे और दंग रह गए । सामने चार लाशें पड़ी थी प्रदीप जैन जमीन पर पड़े थे उनके सर से खून बह रहा था दो बच्चियां चिंकी मिन्की 10 वर्ष 12 वर्ष की बिस्तर पर मृत अवस्था मे पड़ी थी उनके गले मे दुपट्टा बंधा था जैसे किसी ने उनका गला घोटा हो । चौथी लाश प्रदीप जैन की पत्नी सविता की थी जो कि दूसरे कमरे में पंखे से लटकी हुई थी । लगा जैसे किसी ने हत्या कर पंखे से लटका दिया हो । पहली नज़र में पुलिस अधिकारी चौबे को लगा कि लूटपाट से उद्देश्य से उनकी हत्या कर दी गयी उनका शक उनके भाई की और भी गया हो सकता है प्रॉपर्टी के चक्कर मे भी ने ही हत्या करवादी हो ।ऐसे कई बिन्दुओ पर चौबे अपना दिमाक लगा रहा था । टीम ने लाशों का निरक्षण कर पंचनामा किया और पोस्टमार्डम के लिए सरकारी चकित्सा अधिकारी को भेज दिया । अब रिपोर्ट आने पर ही कुछ पता चलेगा ऐसा उनके भाई संदीप तो कह कर केश दर्ज किया और टीम रवाना हो गयी ।
इधर संदीप और उसका परिवार परेशान था आखिर कोन उनकी हत्या कर सकता है उनकी किसी से कोई दुश्मनी नही थी ।
कई दिन गुजरने के बाद पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट।आ चुकी थी हत्या के सबूत चौबे जी की टेबल पर फ़ाइल में बंद थे। आज उन्होंने प्रदीप के भाई संदीप को भी बुला रख्खा था
किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी सर मैं क्या अंदर आ सकता हु । चौबे जी ऊपर।नज़र उठाकर देखा तो सामने संदीप जी थे । कहा अरे आप आइए संदीप जी बैठये । संदीप कुछ डरे सहमे से कुर्सी पर बैठ गए । चौबे जी ने बेल बजाए और चपरासी को बुलाया बेटा दो कप जरा चाय तो लेकर आ जैन साहेब आये है ।
चौबे जी ने कहा कि रिपोर्ट आ चुकी है मैन थोड़ी सी पढ़ी है अभी स्टडी करना बाकी है जैन साहेब एक बात बताओ आपके भाई के परिवार के साथ कैसे संबंध थे । और कितने सालों से आप एक साथ रहते है ।
सर हमारे पिताजी का कारोबार इसी शहर में था हम बचपन से ही यहा पढ़े लिखे बड़े हुए और शादी ब्याह हुए । हमारे पिताजी अब इस दुनिया मे नही है हम दोनों भाइयों ने मिलकर यह मकान बनाये और खुशहाल जीवन जी रहे थे ।
मेरे भाई की शादी 15 साल पहले हुई थी और उन की पत्नी सविता रायपुर से थी । वो पढ़ी लिखी ग्रेजुएट थी ।और अपने काम मे।निपुण थी और सारा घर का काम देखती थी । लेकिन उसका सभाव कुछ वर्षों से बहुत ही गुस्सैल रहा है वो छोटी छोटी बातों को लेकर अति गुस्सैल हो जाय करती थी कभी अपने बच्चों को मारती और कभी पति से भी गली गलौच पर उतर आती थी ।।
चौबे जी ने कहा अच्छा जिस दिन वारदात हुई क्या आपको आवाज़ सुनाई नही दी अगर दी तो आप बचाने क्यो नही गए ।
अरे सर अभी कुछ दिनों से दोनों।का यही काम था भाई रात को ग्यारह बजे तक घर आते और न जाने कोन सी बातों को लेकर झगडते रहते थी । मैन के बार दोनों को समझाया पर कुछ भी सुधार नही हुआ ।
चौबे जी ये सब सुन रहे थे और रिपोर्ट भी पढ़े जा रहे थे उनका अब सब साफ हो चुका था की हत्यारा कोई घर का ही है ।
चौबे ने संदीप से पूछा अच्छा क्या हुआ था वारदात के दिन क्योकि आप तो एक ही घर मे रहते हो ऊपर नीचे ।
सर रात को दोनों पति पत्नी आपस मे लड़ रहे थे लेकिन कुछ समय के बाद कपि।आवाज़ नही आई मैन सोच सो गए है सब कुछ सुबह पता लगा ।।
संदीप जैन साहेब आपके भाई के सर पर हथोड़े से मारा गया है और बच्चियों की गला दबाकर ।और खुद सविता ने पंखे ले लटककर आत्महत्या । अब पूरा केस समझ मे आ गया था चौबे जी को ।।
उन्होंने फिर संदीप।जैन।को पूछा सच सच बताओ क्या था उस रात ।तुम्हे सब मालूम है तुम छुपा रहे हो । झल्लाकर ऊंची आवाज में पूछा ।
संदीप जैन कुछ डर गए थे और पूरा सच उगल दिया । सर क्या बताऊँ सविता गुस्से से पागल रहती थी उसकी मानसिक हालात खराब थी वो बार बार अपनी ननद को पसंद नही करती थी और उसका आना जाना अपने भाई से मिलना उसको गवारा न था । इसी लिए रोजाना झगड़ा होता था । भाई अपनी बहन की सहायता करता रहता था ।उस दिन बहन घर आई थी और चली गयी उसको लगा बहन को कुछ दिया होगा और क्यो पति बहन के चक्कर मे रहता है ।
सविता ने कहा अपनी बहन को।खो यह मत आया करे प्रदीप ने कहा क्यो वो मेरी बहन है जब चाहे आ सकती । मैंने कह दिया वो यह नही आएगी ऐसी बीच उनकी तकरार और बढ़ गयी । मैं नीचे आया और दरवाजा खोलने को कहा लेकिन खोल नही मैं रोशनदान से देख रहा था । मैंने देखा दोनों पति पत्नी एक दूसरे को हाथों से मार रहे थे और बच्चे दुबक कर दूसरे कमरे में चले गए थे वो बहुत डर गए थे ।
वो आपस मे लड़ रहे थे फिर अचानक थम गई और कुर्सी पर बैठ गए सोचा गुस्सा ठीक हो जाएगा शांत रहै । लेकिन सविता पर तो जैसे भूत सवार था वो किचेन की तरफ भागी और हाथ मे हतोड़ा उठाया और पीछे छिपा लिया और धीरे सी आई जैसे ही पंडिप ने उड़ कर देखा ताबड़तोड़ हथोड़े से सर पर वार करने लगी । एक ही वार में वो जमीन पर गिर पड़े लहूलुहान हो गए । वो घबरा गई उसको लगा कि वो मार गया है अब उसको जेल हो जाएगी । उसका दिमाग अब दूसरी तरफ दौड़ने लगा था ये सब तमाशा बच्चियां देख रही थी ।
सविता को लगा ये सब पुलिस को बता देंगी इसीलिए उनको भी मारना होगा । बड़े प्यार से वो बाख हो के पाश आयी और दोनों का एक ही दुप्पटे से गला घोंटकर मार दिया । अब वो डर गई तीन लाशें घर थी । जेल फांसी तो होनी ही थी । आव न देखा ताव फटाफट अपने कमरे में गयी और साड़ी का फंदा बना उस पर लटक गई ।
संदीप को डर था कि कही वो उसको भी न मार दे वो सहम गया था । उसने लड़ते गए देखा था लेकिन यह नही पता था कि ऐसा भी हो सकता है वो रो रो कर बेहाल था ।
चौबे जी ने कहा शांति रखे आपकी कोई लापरवाही नही है आपने अपना काम।किया।
सर झुकाकर संदीप अपने घर लौट रहा था सोच रहा था कि एक महिला गुस्से में क्या इतनी पागल हो सकती है जो अपने पति की ही जान लेले और बचने के लिए पूरे परिवार बच्चों की ।।बहुत ही शर्मनाक घटना थी जिसमे एक गुस्सैल महिला ने अपना पूरा परिवार बरबाद कर दीया ।जो दर्द उनको मिला बर्षो तक भूल नही सकते ।।
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