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संत गुरु रविदास के वचन

संत रविदास वचन 


जीवन चार दिवस का मेला रे,
बाह्मण झूठा वेद भी झूठा 
झूठा सब चेला रे ।।
मंदिर भीतर मूर्ति बैठी 
पूजता बाहर चेला रे 
लड्डू भोग चढ़ाती जनता
मूर्ति के ढंग केला रे 
पत्थर मूर्ति कछु न खाती
खाते बाह्मण चेला रे 
जनता को लूटे बाह्मण सारे 
प्रभु जी देते नही अधेला रे 
पाप पुण्य पुनर्जन्म का 
बाह्मण दिखया खेला रे 
स्वर्ग नरक बैकुंठ पधारो
गुरु शिष्य या चेला रे 
जितना दान देंगे जैसा
वैसा निकले तैला रे 
बाह्मण जाति सभी को बहकाये
जान तहे मचे बवेला रे ।।।

संत रविदास वचन