भारत में मुख्य बौद्ध तीर्थ स्थल
(1) लुम्बिनी :
(3) सारनाथ :
अन्य तीर्थ स्थल :
तथागत के निर्वाण के पश्चात उनके शरीर के अवशेष (अस्थियाँ) आठ भागों में विभाजित हुए और उन पर आठ स्थानों में आठ स्तूप बनाए गए हैं। जिस घड़े में वे अस्थियाँ रखी थीं, उस घड़े पर एक स्तूप बना और एक स्तूप तथागत की चिता के अंगार (भस्म) को लेकर उसके ऊपर बना। इस प्रकार कुल दस स्तूप बने।
बौद्धगया का इतिहास एक नज़र में :
बिहार राज्य में बोधगया एक प्राचीनतम शहर(Oldest City) है। लगभग 500 ईसा पूर्व बोधगया में ही गौतम बुद्ध को फाल्गु नदी के तट पर बोधि वृक्ष के नीचे कई वर्षो तक कठिन तपस्या करने के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ज्ञान प्राप्त होने के बाद वे बुद्ध के नाम से जाने गए। चूंकि भगवान बुद्ध को वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए बुद्ध के अनुयायी बौद्ध गया स्थान पर आने लगे। धीरे धीरे ये जगह बोधगया महाबोधि टेम्पल के नाम से जाना लगा और ये दिन बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है /
माना जाता है कि बोधगया के महाबोधि मंदिर में स्थापित बुद्ध की मूर्ति साक्षात उसी अवस्था में है जिस अवस्था में बैठकर उन्होंने तपस्या की थी और वह मूर्ति स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा स्थापित की गई थी। बुद्ध की यह मूर्त्ति बौद्ध जगत में सर्वाधिक प्रतिष्ठा प्राप्त मूर्त्ति है। नालन्दा और विक्रमशिला के मंदिरों में भी इसी मूर्त्ति की प्रतिकृति को स्थापित किया गया है। इस शहर में अशोक महान ने कई स्मारकों का निर्माण कराया था।
13वीं शताब्दी तक बोधगया भगवान बुद्ध के कारण बहुत प्रसिद्ध रहा लेकिन अचानक हुए राजनीतिक उथल पुथल के कारण यह शहर कई शताब्दियों तक उपेक्षित रहा।शुरुआत में केवल आसपास के लोग ही यहां आते थे। लेकिन संचार प्रणाली और अन्य सुविधाओं के विकास के साथ तीर्थयात्रियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इस पवित्र स्थान पर विभिन्न देशों के तीर्थयात्री अपने तरीके से पूजा करते हैं, पवित्र उपदेशों को पढ़ते हैं, मुख्य मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे चिंतन(Meditation) करने बैठते हैं और मोमबत्ती और घी के दीपक जला कर सकून पाते है /
बोधगया शहर में क्या है देखने लायक :
१- बोधि वृक्ष
ऐसा माना जाता है बोधगया में स्थित इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को सच्चा ज्ञान (Enlightenment) प्राप्त हुआ था। यह पेड़ ही मूल बोधि वृक्ष का ही एक भाग है, जिसे राजा अशोक की बेटी श्रीलंका लेकर गयी थी।
२-महाबोधि टेम्पल :
यह मंदिर बोधगया के मुख्य आकर्षणो में से एक है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा करवाया गया था। मंदिर का निर्माण 7 वीं शताब्दी ईस्वी में मूल बोधि वृक्ष के चारों ओर किया गया है।
३-थाई मठ :
इस मठ की स्थापना थाईलैंड के राजपरिवार ने बौद्ध की स्थापना के 2500 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में किया था। इंडोसन-निप्पन-जापानी मंदिर (महाबोधि मंदिर परिसर से 11.5 किलोमीटर दक्षिण-पश्िचम में स्थित) का निर्माण 1972-73 में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण लकड़ी के बने प्राचीन जापानी मंदिरों के आधार पर किया गया है।था।
४- रॉयल भूटान मठ :
यह मठ बोधगया के प्रसिद्ध मठों(Monastery) में से एक है। इस मठ का निर्माण भूटान के राजा द्वारा भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि के रूप में किया गया था।रॉयल भूटान मठ, बोध गया, बिहाररॉयल भूटान मठ क्षेत्र में सबसे शानदार मठों में से एक है, जिसे भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि के रूप में भूटान के राजा द्वारा बनाया गया था।रॉयल भूटान मठ, एक शांतिपूर्ण जगह है जहाँ आप बौद्ध धर्म सीख सकते हैं और अभ्यास कर सकते हैं। यह खूबसूरत मठ अपनी मिट्टी की नक्काशी के साथ निश्चित रूप से आपको प्रभावित करेगा, जिसमें भगवान बुद्ध के जीवन का चित्रण है, जिसे सजावटी स्थापत्य शैली से सजाया गया है।मठ के अंदर, भगवान बुद्ध की सात फीट ऊंची प्रतिमा है, जिसे बौद्ध प्रतीकों और शास्त्रों के साथ उकेरा गया है।इन शानदार नक्काशी को देखने के लिए दुनिया भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां आते हैं।
५-ग्रेट स्टेचू ऑफ़ लार्ड बुद्धा :
80 फीट की ऊँचाई पर खड़ी महान बुद्ध प्रतिमा(Statue), भगवान बुद्ध बोधगया से जुड़े धार्मिक और आध्यात्मिक स्मारकों में से एक है। देश की सबसे ऊंची बुद्ध मूर्तियों में से एक, संरचना 1989 में दलाई लामा द्वारा स्थापित की गई थी।
Archaeological Museum :
आर्कियोलॉजिक म्यूजियम एक छोटा सा संग्रहालय(Museum) है जिसमें केवल तीन हाल हैं। इस संग्रहालय में हिंदू और बौद्ध धर्म की कई मूर्तियां और कलाकृतियां है और खुदाई में मिली कुछ अन्य चीजें भी रखी गई हैं। यह दर्शकों के देखने लायक(Worth Seeing) है।
इसके अलावा आप बोध गया में बराबर गुफा, नागार्जुनी गुफा,प्रेतशिला पहाड़ी,विष्णुपाद मंदिर,टर्गर मठ, फोवा सेंटर, गेंधेन फेलगेलिंग मठ, रूट इंस्टीट्यूट,बोधगया मल्टीमीडिया संग्रहालय, ताइवानी मंदिर, कर्मा मंदिर आदि देख सकते हैं।
चूंकि बौद्ध पूर्णिमा गर्मी के महीने में पड़ती है इसलिए बेहद गर्मी होने के कारण दुनिया के कोने कोने से पर्यटक बुद्ध जयंती मनाने के लिए यहां आते हैं। अगर आप मई के महीने में बोध गया आते हैं तो सूती कपड़े पहनकर आएं। अप्रैल से जून के बीच यहां गर्मी पड़ती है इसलिए पैदल चलकर बोधगया के सभी स्थल देखना संभव नहीं हो पाता है इसलिए इस महीने में कम पर्यटक आते हैं। मार्च से अक्टूबर के बीच का महीना बोधगया आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान पर्यटक बिना अधिक गर्मी या बारिश के बेहद आराम से बोध गया घूम सकते हैं।
बोधगया पहुंचने के लिए यातायात के मुख्य साधन क्या हैं? :
बोधगया का निकटतम हवाई अड्डा गया है जो बोधगया शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। हालांकि यहां कम ही फ्लाइटें आती हैं लेकिन यह कोलकाता से हवाई मार्ग द्वारा अच्छी तरह से कनेक्ट है। थाई एयरवेज की गया के लिए नियमित उड़ानें हैं जबकि बैंकॉक से ड्रुक एयर हफ्ते में एक दिन गया के लिए उड़ान भरती है।
इसके अलावा पटना एयरपोर्ट कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, रांची, लखनऊ सहित भारत के अन्य शहरों से इंडियन एयरलाइंस और अन्य घरेलू वाहकों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पटना से बोधगया 135 किमी दूर है। एयरपोर्ट के बाहर से आप टैक्सी बुक करके बोधगया शहर पहुंच सकते हैं।
बोधगया का निकटतम रेलवे स्टेशन गया जंक्शन है जो यहां से 13 किमी दूर है। इस स्टेशन से कई राज्यों से ट्रेनें गुजरती हैं। आप गया रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी लेकर बोधगया पहुंच सकते हैं। गया स्टेशन पर सियालदह नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस और कोलकाता मेल जैसी ट्रेनें पहुंचती हैं। पटना जंक्शन से बोधगया 110 किमी दूर है। पटना पहुंचने के लिए बंगलौर, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और पुणे से कई ट्रेनें हैं।
गया से एक मुख्य सड़क बोधगया शहर को जोड़तीहै। पटना से बोधगया के लिए बिहार राज्य पर्यटन निगम की बसें प्रतिदिन दो बार चलती हैं।इसके अलावा डीलक्स बसें भी चलती हैं। पटना के अलावा, नालंदा, राजगीर, वाराणसी और काठमांडू से भी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। अब लक्जरी वातानुकूलित वोल्वो बसें भी शुरू हो गई हैं जो आसपास के शहरों से बोधगया को जाती हैं।
बोधगया में ठहरने के लिए होटल और गेस्ट हाउस की कमी नहीं है। लेकिन पीक सीजन में पहले से कमरा बुक कराना ज्यादा फायदेमंद होता है। यहां एसी और नॉन एसी दोनों तरह के होटल और गेस्टहाउस हैं। महाबोधि मंदिर से पार्क के सामने बहुत से होटल हैं जहां पर्यटकों के लिए ठहरने और भोजन की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। अगर आप अकेले रुकना चाहते हैं तो यहां आपको 200 रुपये में भी कमरा मिल सकता है।
रुकने की सुविधा :
बोधगया में आप भूटान मोनेस्ट्री, बर्मीज विहार,कुंदन बाजार गेस्ट हाउस, महाबोधि सोसायटी, रैन्बो गेस्टहाउस, साक्य मोनेस्ट्री गेस्टहाउस, राहुल गेस्टहाउस, सिद्धार्थ विहार टूरिस्ट कॉम्पलेक्स, होटल सुजाता आदि होटलों में रुक सकते हैं। बोधगया में आपको कम कीमत के भी होटल आसानी से मिल सकते हैं। बस कुछ सर्च करे जैसे मेक माय ट्रिप , बुकिंग डॉट कॉम ,होटल्स डॉट कॉम इत्यादि पर। ट्रैन टिकट बुक करने के लिए आई आर सी टी सी और ऑनलाइन टिकट बुक करे आसान है।
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